विद्यालयों के लिए ICT लैब हिंदी में (ICT lab in school in hindi)
ICT क्या है ? (what is ICT in hindi ?)
ICT का अर्थ है – सूचना और संचार प्रौद्योगिकी या अन्य सरल शब्दों में हम कह सकते हैं – “नए तकनीकी उपकरणों, जैसे कि सूचना और संचार के विभिन्न संसाधनों और चैनलों पर आधारित तकनीकों और उपकरणों का एक प्रबंध।”
ICT लैब का शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इस तथ्य की पुष्टि की है जापान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मल्टीमीडिया एजुकेशन द्वारा बनाई गई एक रिपोर्ट ने। इस रिपोर्ट के अनुसार- “शिक्षा के क्षेत्र में ICT का पाठ्यक्रम से एकीकरण होने पर छात्रों की उपलब्धियों पर बहुत ही सकारात्मक और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। खासकर गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन जैसे विषयों में “ज्ञान- समझ”, “व्यावहारिक कौशल” और “प्रस्तुति कौशल” के संदर्भ में।”
भारतीय सरकार ने भी इस महत्व को जाना व समझा है और इसके आधार पर कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाये हैं। शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति 1986, जिसे 1992 में संशोधित किया गया था, के आधार पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शैक्षिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है । इसी राष्ट्रिय नीति को अमली-जामा पहनाने के मद्देनजर 2004 से स्कूलों में ICT प्रयोगशालाओं का कार्यान्वयन शुरू किया गया था और इसे 2010 में कंप्यूटर की सहायता से शिक्षण को और बेहतर बनाने के लिए संशोधित किया गया। सरकारी स्कूलों में ICT लैब राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) का एक महत्वपूर्ण भाग है।
स्कूलों के लिए ICT लैब योजना के चार प्रमुख पहलू हैं:
- सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के मध्य साझेदारी
- स्मार्ट स्कूलों की स्थापना
- शिक्षक प्रोत्साहन कार्यक्रम
- ई-सामग्री का विकास
सरकारी और अर्ध सरकारी स्कूलों के लिए ICT लैब योजना के तहत लाभ (Benefits under ICT lab scheme for government and semi government schools)
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ICT लैब की स्थापना के लिए स्कूलों को वित्तीय सहायता (Financial aid to schools for ICT lab setup)
प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (PAB) द्वारा दी गई मंजूरी के आधार पर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन टेक्नोलॉजीज (CIET), स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन टेक्नोलॉजीज (SIETs) और रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन (RIE) से संबद्ध स्कूलों को वित्तीय सहायता दी जाती है।
6.4L का अग्रिम ICT लैब सेटअप व्यय प्रदान किया जाता है, साथ ही सरकार द्वारा 5 वर्षों की अवधि के लिए 2.70L का वार्षिक आवर्ती व्यय प्रदान किया जाता है।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों को जिला स्तर पर 150 स्मार्ट स्कूल स्थापित करने की सलाह दी है, जिसके लिए प्रत्येक स्कूल को कुल 25 लाख की राशि प्रदान की जाएगी और प्रति वर्ष 2.5 लाख की अतिरिक्त आवर्ती राशि, स्थापना और रखरखाव के लिए दी जाएगी। प्रत्येक स्कूल में कम से कम 40 कंप्यूटर उपलब्ध करवाए जायेंगे।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा साझा की जाने वाली परियोजना लागत का अनुपात 75:25 होगा लेकिन उत्तर पूर्वी राज्यों में यह अनुपात 90:10 होगा।
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शिक्षकों के लिए लाभ (Benefits for teachers)
स्थायी शिक्षक और ICT लैब सहायक के लिए प्रावधान:- स्कूल की क्षमता और छात्रों के स्तर के आधार पर शिक्षक और सहायक की योग्यता और भर्ती निर्भर करती है (उदाहरण के लिए उच्च माध्यमिक कक्षाओं के छात्रों के लिए कंप्यूटर शिक्षक की न्यूनतम योग्यता स्नातकोत्तर डिग्री है।)
सभी शिक्षकों को उचित शिक्षण और तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाये ताकि वे ICT लैब की सहायता से शिक्षण की प्रक्रिया/प्रौद्योगिकी और छात्रों के बीच एक सेतु बन सकें।
मेहनती शिक्षकों को प्रेरित करने के लिए,हर साल शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय स्तर का ICT पुरस्कार प्रदान करना।
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छात्रों के लिए लाभ (Benefits for students)
ICT लैब के डेस्कटॉप वर्जन में प्रत्येक छात्र की प्रगति का प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन संभव नहीं था इसलिए केंद्र सरकार अब स्कूलों को टैबलेट आधारित ICT लैब अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
“ईबस्ता पोर्टल” के माध्यम से छात्रों के लिए ऑडियो-वीडियो आधारित डिजिटल सामग्री तक आसान पहुंच।
ई-सामग्री विकास में योगदान करने के लिए SIETs को मजबूत करने का प्रावधान।
सरकार निजी क्षेत्र को भी सरकारी और निजी स्कूलों में ICT लैब के लिए स्मार्ट ई-कंटेंट के विकास में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
ICT लैब योजना के तहत चुनौतियां (Challenges under ICT lab scheme)
ICT निश्चित रूप से संस्थानों के लिए, विशेष रूप से हमारे जैसे देशों में शैक्षणिक सुधार के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि हमारा विकास सीधे प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ा हुआ है और शिक्षा का क्षेत्र कोई अपवाद नहीं है।
हालाँकि भारत सरकार शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए हर साल फंड और योजनाएँ जारी कर रही है, फिर भी इसको लागू करते हुए सरकार को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो निम्न प्रकार से है :-
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जटिल हार्डवेयर के कारण उत्साह की कमी (Lack of motivation due to complex hardware)
ICT लैब की सहायता से शिक्षण के समय बहुत सारी बाधाएं सीखने की प्रक्रिया को बाधित करती है। आमतौर पर आने वाली बाधाएं हैं – बिजली की कमी, समय-समय पर उपकरणों में होने वाली तकनीकी खराबी, तकनीकी सहायता की कमी के साथ-साथ अन्य संसाधन संबंधी मुद्दे जैसे अप-टू-डेट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का उपयोग न करना या कर पाना इत्यादि। अधिकांश स्कूल केवल एक प्रिंटर या स्कैनर का उपयोग तो यदा-कदा कर भी लेते हैं लेकिन ICT लैब का तो शायद ही कभी उपयोग किया जाता है।
पटना के सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ एजुकेशन के, विक्रमजीत सिंह द्वारा 2018 में बिहार के चयनित जिलों के 87 स्कूलों के 1551 छात्रों पर किए गए एक शोध (रिपोर्ट) में 72.04% छात्रों ने यह बताया कि वे एक सप्ताह में कभी भी ICT लैब का उपयोग नहीं करते हैं।
इस रिपोर्ट से यह भी ज्ञात हुआ कि प्रारंभिक वर्षों में छात्र और शिक्षक दोनों ICT लैब का उपयोग उत्साह से करते हैं लेकिन बाद में धीरे-धीरे यह चलन बंद कर देते हैं।
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सरकारी स्कूलों में कुशल शिक्षकों की कमी (Lack of skilled teachers in government schools)
अधिकांश विद्यालयों में या तो कंप्यूटर शिक्षक नहीं हैं या उनके पास ICT लैब में शिक्षण कार्य के लिए आवश्यक तकनीकी ज्ञान का अभाव है। इस कौशल आधारित कमी के कारण भी शिक्षक ICT लैब की सहायता से पढ़ने में हिचकिचाते हैं और न ही वो छात्रों को प्रोत्साहित कर पाते हैं।
पिछली रिपोर्ट से, यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है:
इस स्क्रीनशॉट से यह भी साफ़ देखा जा सकता है कि छात्रों के अंकों में सुधार नहीं हो रहा है क्योंकि वे ICT लैब का ठीक से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में छात्रों के पास ईमेल आईडी तक भी नहीं है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम (Steps taken by government to overcome these challenges)
2018 में, MHRD ने शिक्षा में बेहतर गुणवत्तापूर्ण सुधार और परिणामों के उद्देश्य को मद्दे-नजर रखते हुए अपने सभी स्कूली शिक्षा कार्यक्रमों को “समग्र शिक्षा अभियान” में एकीकृत करके बहुत बड़ा सुधार किया।
ICT & RMSA योजनाओं के तहत हजारों सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित किए गए थे। परन्तु अलग कमरे की आवश्यकता के साथ-साथ,अन्य बुनियादी ढांचागत चुनौतियों का सामना तो करना ही पड़ा, इसके अलावा जटिल हार्डवेयर, कठिन रखरखाव और बिजली पर निर्भरता के कारण सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर का उपयोग अच्छी तरह से नहीं किया जा रहा था, जो आमतौर पर सरकारी स्कूलों में होना चाहिए। इन्ही समस्याओं को हल करने के प्रयास में ICT लैब के लिए टैबलेट/लैपटॉप/क्रोमबुक का एक पसंदीदा विकल्प जोड़ा गया।
स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया कि स्कूलों को टैबलेट आधारित आईसीटी प्रयोगशाला प्रणाली का उपयोग करना चाहिए जो टैबलेट/लैपटॉप के लिए लॉक करने योग्य चार्जिंग रैक के साथ आता है। ये रैक 24 घंटे बिजली की आपूर्ति पर निर्भर नहीं हैं और टैबलेट को संचालित करना भी आसान है।
बहुत सारे सामाजिक एडटेक संगठन, NGOs और CSR फाउंडेशन जो बड़े निवेश के साथ, सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर या ICT लैब स्थापित करने के काम में लगे हुए हैं, उन्होंने भी इस कमी का सामना किया है, और इसलिए अब वे भी टैबलेट आधारित ICT लैब के उपयोग का प्रस्ताव दे रहे हैं।
स्कूलों के लिए टैबलेट आधारित आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए सरकार द्वारा की गई प्रमुख सिफारिशों को, पृष्ठ 127 के अध्याय 7 में रेखांकित किया गया है।
फ्रेमवर्क दस्तावेज़ के पृष्ठ 129 पर, ICT को लागू करने के लिए हार्डवेयर दिशानिर्देशों को रेखांकित किया गया है।
अगले पृष्ठ पर यह ICT के आधारभूत उपयोग में ऐसे हार्डवेयर और चार्जिंग रैक की स्थापना और उपयोग के लिए सुझाए दिए गए हैं।
टैबलेट आधारित ICT Lab के प्रमुख सुझावों की मुख्य विशेषताएं (Key features of tablet based ICT lab)
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उपयोग में आसान और प्रबंधनीय डिजिटल हार्डवेयर(Easy to use & manageable digital hardware)
राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुझाव दिया गया है कि केवल कंप्यूटर के बजाय, आसान सेटअप और उपयोग के लिए अन्य सहायक हार्डवेयर के साथ टैबलेट/लैपटॉप/नोटबुक/पीसी के उपयोग पर विचार करना चाहिए।
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स्टोरेज सिस्टम और चार्जिंग रैक (Storage and charging racks)
आमतौर पर कंप्यूटर के लिए फिक्स्ड हार्डवेयर, वायरिंग और चार्जिंग पॉइंट स्थापित करने पड़ते हैं। वही हम सभी टैबलेट/लैपटॉप के लिए आसानी से लॉक करने योग्य स्टोरेज सिस्टम तो उपलब्ध करवाते ही हैं, पर इसके साथ-साथ इसमें सभी हार्डवेयर डिवाइस को एक साथ चार्ज करने के लिए इनबिल्ट चार्जिंग पॉइंट/चार्जिंग रैक की सुविधा भी उपलब्ध करवाते हैं।
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सौर ऊर्जा इकाइयों का एकीकरण (Integration to solar power units)
जहां बिजली कनेक्शन और नियमितता एक मुद्दा है, टैबलेट/लैपटॉप के चार्जिंग रैक को रूफटॉप सौर इकाई के साथ जोड़ा जा सकता है। चूंकि टैबलेट/लैपटॉप एक बार चार्ज होने पर घंटों तक चल सकते हैं, इसलिए एक सौर इकाई स्रोत इनके सञ्चालन के लिए काफी है।
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स्मार्ट ICT लैब के लिए गतिशील या कॉर्नर फिक्स्ड रैक (Movable or corner fixed racks for a smart ICT lab)
अधिकांश सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचा और जगह की कमी एक बाधा है, इसलिए ICT लैब के लिए टैबलेट/लैपटॉप के चार्जिंग रैक जो पहियों के सहायता से चलने योग्य होते हैं बहुत ही उपयोगी साबित हो सकते हैं। इनकी सहायता से टैबलेट/लैपटॉप के चार्जिंग रैक को प्रिंसिपल रूम या मौजूदा ICT रूम में आसानी से रखा जा सकता है या फिर किसी भी कक्षा में एक कोने में आसानी से लगाया जा सकता है जहां से इसका अधिकतम उपयोग हो सकता है।
टैबलेट आधारित स्मार्ट ICT लैब के लिए iDream एजुकेशन द्वारा प्रस्तावित शोध और समाधान (Research and solutions proposed by iDream Education for tablet based smart ICT lab)
जब समग्र शिक्षा अभियान के परिपत्र के बारे में हमें पता चला, तो हम बहुत उत्साहित थे क्योंकि यह हमारे काम के लिए किसी प्रशंसा से कम नहीं था। iDream एजुकेशन में हम कई वर्षों से CSR और फाउंडेशन के साथ मिलकर सरकारी स्कूलों के लिए डिजिटल क्लासरूम स्थापित कर रहे हैं।
हमने कंप्यूटर लैब के वास्तविक उपयोग में शिक्षकों, स्कूल प्रशासन और छात्रों के सामने आने वाली व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का गहराई से अध्ययन किया है और हम काफी समय से सरकारी स्कूलों में डिजिटल हार्डवेयर के लिए सरकारी दिशानिर्देशों और नीतियों में इस तरह के मौलिक बदलाव की वकालत करते रहे हैं।
टैबलेट आधारित स्मार्ट आईसीटी प्रयोगशालाएं निम्नलिखित तरीकों से स्कूलों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान कर सकती हैं:
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टैबलेट आधारित स्मार्ट ICT लैब प्रौद्योगिकी- उपयोग करने में आसान (Tablet based smart ICT lab technology- Easy to Use)
ICT लैब में PC पर काम करते समय शिक्षकों को जटिल प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है और
सरकारी विद्यालयों के छात्रों के लिए यह और भी जटिल हो जाता है। इसके साथ ही विद्युत आपूर्ति की अविश्वनियता भी इस जटिलता को और भी अधिक बढ़ा देती है।
इसलिए शिक्षक हतोत्साहित होकर पारम्परिक ढंग से पढ़ाना ज्यादा पसंद करते हैं, जिसके कारण छात्र भी इससे अछूते नहीं रह पाते।
हमने टेबलेट के प्रयोग के माध्यम से इस जटिलता को कम करने का प्रयत्न किया है क्योंकि इसको प्रयोग करना मोबाइल फोन की तरह ही आसान है जिसे बच्चे भी आसानी से चलाना जानते हैं। हमने चार्जिंग और स्टोरेज रैक उपलब्ध कराकर बिजली पर निर्भरता भी कम करने की कोशिश की है।
हमारे द्वारा उठाए गए इस कदम से कक्षा में शिक्षकों और छात्रों दोनों में रुचि बढ़ी और स्कूलों में ICT लैब के उपयोग में भारी वृद्धि हुई है।
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अलग से प्रशिक्षण या सहायक की आवश्यकता नहीं (No separate training or assistant required)
पीसी आधारित ICT लैब के लिए, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की जानकारी रखने वाले शिक्षक या सहायक की आवश्यकता होती है जो इसके प्रयोग के समय होने वाली बाधाओं को संभाल सके।
टैबलेट ICT लैब के प्रयोग से, कंप्यूटर शिक्षक की आवश्यकता की समस्या को हल किया जा सकता है क्योंकि टैबलेट किसी भी एंड्रॉइड आधारित मोबाइल फोन की तरह ही काम करती है। इसलिए शिक्षण कार्य के लिए केवल विषय शिक्षक का होना ही पर्याप्त है।
निष्कर्ष (Conclusion)
महामारी के दौरान जब दुनिया रुक गई, तो सामान्य मानसिकता ने हर स्थापित उपनिवेश, व्यावसायिक गतिविधि और दैनिक वेतन गतिविधियों में बहुत अधिक कमी देखी गई। अधिकांश आबादी के लिए भविष्य अनिश्चित हो गया। तब प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण एक तारणहार के रूप में उभरकर सामने आई। लेकिन भारत जैसे देश में जहाँ आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा अभी भी प्रौद्योगिकी का खर्च नहीं उठा सकता, यह भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया। फिर हम इस उद्धारकर्ता का उपयोग कैसे कर सकते हैं या तकनीकी ज्ञान की कमी के इस मुद्दे को कैसे हल कर सकते हैं? इसका उत्तर बहुत ही सरल है- हमारे शिक्षार्थी आबादी को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस तरह से डिजिटलीकरण लाने के लिए, हमें अपने छात्रों को आधुनिक तकनीक की मदद से, तकनीकी कमी को दूर करने का प्रशिक्षण देने की जरूरत है। इस तरह, डिजिटल तकनीक कभी न खत्म होने वाले चक्र की द्वि-उत्पादक (द्वि-उत्पादक) गतिविधि है।